2 उत्तरे
2
answers
आरारोट हे काय आहे आणि ते कुठे कशात वापरतात?
5
Answer link
अरारोट, (अंग्रेज़ी:ऍरोरूट) जिसका वैज्ञानिक नाम 'मैरेंटा अरुंडिनेशी' (Maranta arundinacea) होता है, एक बहुवर्षी पौधा होता है। यह वर्षा वन का आवासी है। इसके राइज़ोम से प्राप्त होने वाले खाद्य मंड (स्टार्च) को भी अरारोट ही कहा जाता है। आयुर्वेद के अनुसार अरारोट सही पोषणकर्ता, शान्तिदायक, सुपाच्य, स्नेहजनक, सौम्य, विबन्ध (कब्ज) नाशक, दस्तावर होता है। पित्तजन्य रोग, आंखों के रोग, जलन, सिरदर्द, खूनी बवासीर और रक्तपिक्त आदि रोगों मे सेवन किया जाता है। कमजोर रोगियों और बालकों के लिए यह काफी लाभदायक है यह आंत्र और मूत्राशय सम्बन्धी रोगों के बाद की कमजोरी में यह आराम पहुंचाता है।
विभिन्न भाषाओं में इसके कई नाम हैं। हिन्दी में अरारोट, बिलायती तीखुर, मराठी में आरारूट, बंगला में ओरारूट, तवक्षीर,गुजराती में तवखार, अरारोट; अंग्रेज़ी में ऍरोरूट, वेस्ट इण्डियन ऍरोरूट कहते हैं।
अरारूट अथवा अरारोट (अंग्रेजी में ऐरोरूट) एक प्रकार का स्टार्च या मंड है जो कुछ पौधों की कंदिल (ट्यूबरस) जड़ों से प्राप्त होता है। इनमें मरेंटसी कुल का सामान्य शिशुमूल (मरंटा अरंडिनेसिया) नामक पौधा मुख्य है। यह दीर्घजीवी शाकीय पौधा है जो मुख्यत: उष्ण देशों में पाया जाता है। इसकी जड़ों में स्टार्च के रूप में खाद्य पदार्थ संचित रहता है। १० से १२ महीने तक के, पूर्ण वृद्धिप्राप्त पौधे की जड़ में प्राय: २६ प्रतिशत स्टार्च, ६५ प्रतिशत जल और शेष ९ प्रतिशत में अन्य खनिज लवण, रेशे इत्यादि होते हैं। मरंटा अरंडिनेसिया के अतिरिक्त, मैनीहार युटिलिस्मा, कुरकुमा अंगुस्टीफोलिया, लेसिया पिनेटीफ़िडा और ऐरम मैकुलेटम से भी अरारूट प्राप्त होता है।
अरारूट निकालने की विधि
कंदिल जड़ों को निकालकर अच्छी तरह धोने के पश्चात् उनका छिलका निकाल दिया जाता है। फिर उन्हें अच्छी तरह पीसकर दूधिया लुगदी बना ली जाती है। तब लुगदी को अच्छी तरह धोया जाता है, जिससे जड़ का रेशेदार भाग अलग हो जाता है। यह फेंक दिया जाता है। बचे हुए दूधिया भाग को, जिसमें मुख्यतया स्टार्च रहता है, महीन चलनी या मोटे कपड़े पर डालकर उसमें का पानी निकाल दिया जाता है। बचा हुआ सफेद भाग स्टार्च होता है जिसे पानी से फिर भली-भाँति धो तथा सुखाकर अंत में पीस लिया जाता है। इसी रूप में अरारूट बाजार में बिकता है।
अरारूट का स्टार्च बहुत छोटे दानों का और सुगमता से पचनेवाला होता है। इस गुण के कारण इसका उपयोग बच्चों तथा रोगियों के भोजन के लिए विशेष रूप से होता है।
अरारूट के नाम पर बाजार में बिकनेवाले पदार्थ बहुधा या तो कृत्रिम होते हैं या उनमें अनेक प्रकार की मिलावटें होती हैं। कभी-कभी आलू, चावल, साबूदाना या ऐसी ही अन्य वस्तुओं के महीन पिसे हुए आटे अरारूट के नाम पर बिकते हैं या इन्हें शुद्ध अरारूट के साथ विभिन्न मात्रा में मिलाकर बेचा जाता है। कृत्रिम या मिलावटी अरारूट को सूक्ष्मदर्शी द्वारा निरीक्षण करके पहचाना जा सकता है।
विभिन्न भाषाओं में इसके कई नाम हैं। हिन्दी में अरारोट, बिलायती तीखुर, मराठी में आरारूट, बंगला में ओरारूट, तवक्षीर,गुजराती में तवखार, अरारोट; अंग्रेज़ी में ऍरोरूट, वेस्ट इण्डियन ऍरोरूट कहते हैं।
अरारूट अथवा अरारोट (अंग्रेजी में ऐरोरूट) एक प्रकार का स्टार्च या मंड है जो कुछ पौधों की कंदिल (ट्यूबरस) जड़ों से प्राप्त होता है। इनमें मरेंटसी कुल का सामान्य शिशुमूल (मरंटा अरंडिनेसिया) नामक पौधा मुख्य है। यह दीर्घजीवी शाकीय पौधा है जो मुख्यत: उष्ण देशों में पाया जाता है। इसकी जड़ों में स्टार्च के रूप में खाद्य पदार्थ संचित रहता है। १० से १२ महीने तक के, पूर्ण वृद्धिप्राप्त पौधे की जड़ में प्राय: २६ प्रतिशत स्टार्च, ६५ प्रतिशत जल और शेष ९ प्रतिशत में अन्य खनिज लवण, रेशे इत्यादि होते हैं। मरंटा अरंडिनेसिया के अतिरिक्त, मैनीहार युटिलिस्मा, कुरकुमा अंगुस्टीफोलिया, लेसिया पिनेटीफ़िडा और ऐरम मैकुलेटम से भी अरारूट प्राप्त होता है।
अरारूट निकालने की विधि
कंदिल जड़ों को निकालकर अच्छी तरह धोने के पश्चात् उनका छिलका निकाल दिया जाता है। फिर उन्हें अच्छी तरह पीसकर दूधिया लुगदी बना ली जाती है। तब लुगदी को अच्छी तरह धोया जाता है, जिससे जड़ का रेशेदार भाग अलग हो जाता है। यह फेंक दिया जाता है। बचे हुए दूधिया भाग को, जिसमें मुख्यतया स्टार्च रहता है, महीन चलनी या मोटे कपड़े पर डालकर उसमें का पानी निकाल दिया जाता है। बचा हुआ सफेद भाग स्टार्च होता है जिसे पानी से फिर भली-भाँति धो तथा सुखाकर अंत में पीस लिया जाता है। इसी रूप में अरारूट बाजार में बिकता है।
अरारूट का स्टार्च बहुत छोटे दानों का और सुगमता से पचनेवाला होता है। इस गुण के कारण इसका उपयोग बच्चों तथा रोगियों के भोजन के लिए विशेष रूप से होता है।
अरारूट के नाम पर बाजार में बिकनेवाले पदार्थ बहुधा या तो कृत्रिम होते हैं या उनमें अनेक प्रकार की मिलावटें होती हैं। कभी-कभी आलू, चावल, साबूदाना या ऐसी ही अन्य वस्तुओं के महीन पिसे हुए आटे अरारूट के नाम पर बिकते हैं या इन्हें शुद्ध अरारूट के साथ विभिन्न मात्रा में मिलाकर बेचा जाता है। कृत्रिम या मिलावटी अरारूट को सूक्ष्मदर्शी द्वारा निरीक्षण करके पहचाना जा सकता है।
0
Answer link
आरारोट एक स्टार्चयुक्त पिठ आहे, जे आरारोट नावाच्या कंदमुळांपासून काढले जाते. हे पिठ सहज पचणारे आणि ग्लूटेन-मुक्त असल्याने ते अनेक पदार्थांमध्ये वापरले जाते.
आरारोटचे उपयोग:
- घट्टपणा: आरारोटचा उपयोग सॉस, सूप आणि अन्य पातळ पदार्थांना घट्टपणा आणण्यासाठी करतात. कॉर्नस्टार्चऐवजी हा एक चांगला पर्याय आहे.
- बेकिंग: ग्लूटेन-मुक्त असल्यामुळे, आरारोटचा उपयोग बिस्किटे आणि केक बनवण्यासाठी केला जातो.
- आरोग्यवर्धक: आरारोट पचनासाठी हलके असते, त्यामुळे लहान मुले आणि आजारी व्यक्तींसाठी ते फायद्याचे असते.
- त्वचेसाठी: आरारोट पावडर त्वचेला मुलायम बनवते आणि त्वचेवरील पुरळ कमी करते.
इतर उपयोग:
- कागद आणि वस्त्रोद्योग उद्योगातही आरारोटचा वापर केला जातो.
- जखम झाल्यास रक्तस्त्राव थांबवण्यासाठी आरारोट लावले जाते.
आरारोट हे बहुगुणी पिठ असून ते विविध प्रकारे आपल्या जीवनात उपयोगी आहे.
अधिक माहितीसाठी आपण खालील लिंकवर क्लिक करू शकता: