व्याकरण सर्वनाम

सर्वनामाची परिभाषा स्पष्ट करा?

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सर्वनामाची परिभाषा स्पष्ट करा?

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*सर्वनाम  परीभाषा स्पष्ट किजीऐ?*

परिभाषा :
सर्वनाम का अर्थ होता है – सब का नाम।
*जो शब्द संज्ञा के नामों की जगह प्रयुक्त होते हैं उसे सर्वनाम कहते हैं* अथार्त संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्दों को सर्वनाम कहते हैं अथार्त भाषा को प्रभावशाली बनाने के लिए जो शब्द संज्ञा के स्थान पर प्रयोग किये जाते हैं उसे सर्वनाम कहते हैं।

सर्वनाम को संज्ञा के स्थान पर रखा जाता है। वाक्यों में सर्वनाम वह शब्द है जो किसी प्रश्नाधीन आदमी की जगह पर उपस्थित होता है।सर्वनाम केवल एक नाम नहीं बल्कि सबके नाम के बारे में बताती हैं। संज्ञा की पुनरुक्ति को दूर करने के लिए ही सर्वनाम का प्रयोग किया जाता है।

हिंदी में कुल 11 मूल सर्वनाम होते हैं :- मैं , तू , यह , वह , आप , जो , सो , कौन , क्या , कोई , कुछ आदि।

सर्वनाम के उदाहरण :
(1) नीता ने गीता से कहा , मैं तुम्हे पुस्तक दूंगी।
(2) सुमन ने संगीता से कहा , मैं बाजार जाती हूँ।
(3) मोहन एक अच्छा विद्यार्थी है वह रोज स्कूल जाता है।
(4) शाम , सोहन के साथ उसके घर गया।

नोट : यहाँ पर मैं , वह और उसके संज्ञा के स्थान पर सर्वनाम प्रयुक्त हुए हैं।

*सर्वनाम के भेद :-*
1. पुरुषवाचक सर्वनाम
2. निजवाचक सर्वनाम
3. निश्चयवाचक सर्वनाम
4. अनिश्चयवाचक सर्वनाम
5. संबंधवाचक सर्वनाम
6. प्रश्नवाचक सर्वनाम

1. *पुरुषवाचक सर्वनाम* क्या होता हैं :- जिन शब्दों से व्यक्ति का बोध होता है उन्हें पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं। इसका प्रयोग व्यक्तिवाचक संज्ञा की जगह पर किया जाता है। इसका प्रयोग स्त्री और पुरुष दोनों के लिए किया जाता है। जिस सर्वनाम का प्रयोग सुननेवाले यानि श्रोता , कहने वाले यानि वक्ता और किसी और व्यक्ति के लिए होता है उसे पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं।

जैसे :- मैं , तू , वह , हम , वे , आप , उसे , उन्हें , ये , यह आदि।

पुरुषवाचक सर्वनाम के भेद :-

1. उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम
2. मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम
3. अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम

1. उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम :- जिन शब्दों का प्रयोग कहने वाला खुद को प्रकट करने के लिए करता है उसे उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं अथार्त जिन शब्दों का प्रयोग बोलने वाला खुद के लिए करता है उसे उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं।

जैसे :- मैं , हम , हमारा , मुझे , मुझको , हमको , मेरा , हमें आदि।

2. मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम:- जिन शब्दों को सुनने वाले के लिए प्रयोग किया जाता है उसे मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं अथार्त जिन शब्दों का प्रयोग बोलने वाला यानि वक्ता , सुनने वाले यानि की श्रोता के लिए प्रयोग करता है उसे मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं।

जैसे :- तुम , आप , तू , तुझे , तुम्हारा , आप , आपको , तेरा , तुम्हे , आपका , आप लोग , तुमसे , तुमने आदि।

3. अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम :- जो व्यक्ति उपस्थित नही होता है वह वक्ता और श्रोता के लिए अन्य व्यक्ति होता है। जिन शब्दों का प्रयोग अन्य व्यक्तियों के लिए किया जाये वे सभी अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम होते हैं। अथार्त जिन शब्दों का प्रयोग बोलने वाला , सुनने वाले के अलावा जिसके लिए करता है उसे अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं।

जैसे :- वह , वे , उसने , यह , ये , इसने , वो , उसका , उनका , उन्हें , उसे आदि।

पुरुष वाचक सर्वनाम कारक रूप में :-
कारक = एकवचन = बहुवचन

1. कर्ता = मैं , मैंने , तू , तूने , वह , उसने = हम , हमने , तुम , तुमने , वे , उन्होंने आदि।
2. कर्म = मुझे , मुझको , तुझे , तुझको , उसे , उसको = हमें , हमको , तुम्हें , तुमको , उन्हें , उनको आदि।
3. करण = मुझसे , मेरे द्वारा , तुझसे , तेरे द्वारा , उससे , उसके द्वारा = हमसे , हमारे द्वारा , तुमसे , तुम्हारे द्वारा , उनसे , उनके द्वारा आदि।
4. सम्प्रदान = मेरे लिए , मुझे , मुझको , तेरे लिए , तुझे , तुझको , उसके लिए , उसे उसको = हमारे लिए , हमें , हमको , तुम्हारे लिए , तुम्हे , तुमको , उनके लिए , उन्हें , उनको आदि।
5. अपादान = मुझसे , तुझसे , उससे = हमसे , तुमसे , उनसे आदि।
6. संबंध = मेरा , मेरी , मेरे , तेरा , तेरी , तेरे , उसका , उसकी , उसके = हमारा , हमारी , हमारे , तुम्हारा , तुम्हारी , तुम्हारे , उनका , उनकी , उनके आदि।
7. अधिकरण = मुझमें , मुझ पर , तुझमें , तुझ पर , उसमें , उस पर = हममें , हम पर , तुममें , तुम पर , उनमें , उन पर आदि।

2. निजवाचक सर्वनाम क्या होता है :- निज शब्द का अर्थ होता है अपना और वाचक का अर्थ होता है बोध। अपनेपन का बोध करने वाले शब्दों को निजवाचक सर्वनाम कहते हैं। अथार्त जिन सर्वनामों का प्रयोग कर्ता के साथ अपने पन का बोध करने के लिए किया जाता है उसे निजवाचक सर्वनाम कहते हैं। जहाँ पर वक्ता अपने या अपने आप शब्द का प्रयोग करता है वहाँ पर निजवाचक सर्वनाम होता है।

जैसे :- हमें , तुम , अपने , आप , अपने आप , निजी , खुद , स्वंय आदि।

निजवाचक सर्वनाम (आप) का प्रयोग अर्थों में :-
(1) आप को संज्ञा या सर्वनाम के निश्चय के लिए प्रयोग किया जाता है।

जैसे :- मैं आप वहीं से आया हूँ।

(ख) आप को दूसरे व्यक्तियों के निराकरण के लिए किया जाता है।

जैसे :- उन्होंने मुझे रहने के लिए कहा था और आप चलते बने।

(2) आप को सर्वसाधारण के अर्थ के लिए प्रयोग किया जाता है।

जैसे :- अपने से बड़ों का आदर करना उचित होता है।

(3) आप का प्रयोग अवधारण में कभी कभी ही जोडकर किया जाता है।

जैसे :- मैं यह कार्य आप ही कर लूँगा।

3. निश्चयवाचक सर्वनाम :- जिन शब्दों से किसी व्यक्ति , वस्तु अथवा घटना की ओर निश्चयात्मक रूप से संकेत करे उसे निश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं। इसे संकेतवाचक सर्वनाम भी कहते हैं। इसमें यह , वह , वे , ये आदि का निश्चय रूप से बोध कराते हैं।

जैसे :- वह मेरा गॉंव है। यह मेरी पुस्तक है। ये सेब हैं। ये पुस्तक रानी की है।
इसमें वह , यह , ये आदि शब्द निश्चित वस्तु की और संकेत कर रहे हैं।

निश्चयवाचक सर्वनाम के प्रकार :-

1. निकटवर्ती निश्चयवाचक सर्वनाम
2. दूरवर्ती निश्चयवाचक सर्वनाम

1. निकटवर्ती निश्चयवाचक सर्वनाम :- जो शब्द निकट या पास वाली वस्तुओं का निश्चित रूप से बोध कराएँ उन्हें निकटवर्ती निश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं।

जैसे :- यह मेरी पुस्तक है। ये मुझे बहुत पसंद है।
इसमें यह और ये निकट वाली वस्तु का बोध करा रही हैं।

2. दूरवर्ती निश्चयवाचक सर्वनाम :- जो शब्द दूर वाली वस्तुओं की ओर निश्चित रूप से संकेत करती है उसे दूरवर्ती निश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं।

जैसे :- वह मेरी कलम है। वे सेब हैं।
इसमें वह और वे दूर वाली वस्तुओं का बोध करा रहे हैं।

4. अनिश्चयवाचक सर्वनाम :- जिन शब्दों से किसी व्यक्ति , वस्तु आदि का निश्चयपूर्वक बोध न हो वहाँ पर अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं।

जैसे :- कोई , कुछ , किसी , कौन , किसने , किन्ही को , किन्ही ने , जौन , तौन , जहाँ , वहाँ आदि।

5. संबंध वाचक सर्वनाम :- जिन शब्दों से परस्पर संबंध का पता चले उसे संबंधवाचक सर्वनाम कहते हैं। जिन शब्दों से दो पदों के बीच के संबंध का पता चले उसे संबंध वाचक सर्वनाम कहते हैं।

जिन शब्दों से किसी व्यक्ति , वस्तु का अहसास तो होता है लेकिन उसका निश्चित रूप पता नहीं चलता उसे अनिश्चय वाचक सर्वनाम कहते हैं।

जैसे :- जैसी ,वैसी , जैसा , जो , जिसकी , सो , जिसने , तैसी , जहाँ , वहाँ , जिसकी , उसकी , जितना , उतना आदि।

6. प्रश्नवाचक सर्वनाम :- जिन सर्वनाम शब्दों को प्रश्न पूछने के लिए प्रयोग किया जाता है उसे प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं। अथार्त जिन शब्दों से प्रश्न का बोध होता है उसे प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं।

जैसे :- क्या , कौन , किसने , कैसे , किसका , किसको , किसलिए , कहाँ आदि।

संयुक्त सर्वनाम :- संयुक्त सर्वनाम अलग श्रेणी के सर्वनाम होते हैं। सर्वनाम से इनकी भिन्नता इस लिए है क्योकि उनमें एक शब्द नहीं बल्कि एक से ज्यादा शब्द होते हैं। कुछ शब्द ऐसे होते हैं जो संयुक्त सर्वनाम के होते हैं। संयुक्त सर्वनाम के शब्दों को संज्ञा के शब्दों के साथ स्वतंत्र रूप से प्रयोग किया जाता है।

जैसे :- जो कोई , कोई न कोई , कोई कोई , कौन कौन , कुछ कुछ , सब कोई , हर कोई , और कोई , कोई और आदि।

अध्यापकों की जानकारी और सूक्ष्म अध्ययन के लिये सर्वनाम की विस्तारपूर्वक जानकारी दी है लेकिन आपको चाहिए की परीक्षा की दृष्टि से तैयारी करना चाहिए
   सभी पाठों में आए सर्वनाम और उसके प्रकार पुनरावृति टालकर छात्रों से अवगत करताना चाहिए विशेषतः मुख्य बातों पर धर्मानं देना बहुत जरूरी है
  सर्वनाम के छ:भेदो से तो छात्र अवगत हो ही !
प्र.4.(1)संज्ञा, सर्वनाम,विशेषण के प्रकार के अनुसार रेखांकित शब्दों का शब्दभेद पहचानकर लिखना है और अंक है 1
काकासाहेब वाळुंजकर
स्वाध्याय एवं गृहकार्य
पाठानुसार आए सर्वनाम छांटकर उसके प्रकार लिखिए .
उत्तर लिहिले · 7/4/2020
कर्म · 16010
0
sure, here is the definition of सर्वनाम in marathi:

सर्वनाम:

सर्वनाम म्हणजे वाक्यात नामाऐवजी वापरला जाणारा शब्द. नामाचा वारंवार होणारा उल्लेख टाळण्यासाठी सर्वनामाचा उपयोग केला जातो.

उदाहरण:

  • मी, तू, तो, ती, ते, आम्ही, तुम्ही, हे, ह्या, तो, त्या, कोण, काय, आपण, स्वतः.

उदाहरण वाक्य:

राम हुशार आहे. तो नेहमी शाळेत वेळेवर येतो.

या वाक्यात 'राम' हे नाम आहे, आणि 'तो' हे सर्वनाम आहे. 'तो' हे सर्वनाम 'राम' या नामाऐवजी वापरले गेले आहे.

उत्तर लिहिले · 21/3/2025
कर्म · 1040

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