स्टार्टअप व्यवसाय आणि छोटे व्यवसाय यात काय फरक आहे?
स्टार्टअप बिज़नस एवं एक छोटे व्यवसाय दोनों ही एक बिज़नस की शुरुआती टर्म हैं. लेकिन आपको बता दें, कि दोनों में बहुत फर्क होता है. यदि आज के समय की बात की जाये तो किसी भी कार्य को नये तरीके एवं नए विचारों के साथ किया जाये, जिसके द्वारा लोगों की परेशानी आसानी से हल हो सके, तो वह स्टार्टअप होता है. लेकिन वहीँ यदि हम छोटे व्यवसाय की बात करें, तो यह कोई भी कार्य हो सकता है जिसे आप शुरु कर पैसे कमाते हैं. इन दोनों ही व्यवसाय के बीच के अंतर को आज हम लेख में विस्तार से आपको समझाने वाले हैं.
स्टार्टअप बिज़नस एवं एक छोटे व्यवसाय के बीच अंतर (What is difference Between Startup and A Small Business)
आप नीचे कुछ बिन्दुओं के आधार पर यह समझ सकते हैं, कि एक स्टार्टअप बिज़नस और एक छोटे व्यवसाय के बीच में वास्तव में क्या – क्या अंतर होता है, जोकि इस प्रकार है –
· नवीनीकरण (Innovations) :-
एक स्टार्टअप और एक छोटे व्यवसाय के बीच जो सबसे बड़ा एवं महत्वपूर्ण अंतर हैं वह यह है कि किसी भी उत्पाद या सर्विस का नवीनीकरण. छोटा व्यवसाय कोई भी रूप में हो सकता है, यह कोई विशेष होने का दावा नहीं करता है. आपका व्यवसाय कई व्यवसायों में से एक हो सकता है, जैसे हेयरड्रेसिंग सैलून, रेस्तौरेंट, लॉ ऑफिस, ब्लॉग या वीडियो ब्लॉग आदि. अतः सरल शब्दों में कहें तो छोटा व्यवसाय शुरू करना आसान काम होता है. लेकिन जब हम स्टार्टअप की बात करते हैं, तो इसके लिए नवीनीकरण बहुत आवश्यक होता है. स्टार्टअप कुछ नया करने एवं पहले से मौजूद चीजों में सुधार कर उसे नये तरीके से करने के लिए होता है. उदाहरण के लिए कोई नया व्यवसाय मॉडल जोकि यूनिक हो या फिर कोई ऐसी तकनीक जिसे अभी तक कोई भी नहीं जानता वह स्टार्टअप होता है.
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· व्यवसाय को बढ़ने की सम्भावनाये (Scopes) :-
छोटा व्यवसाय एक व्यापारी द्वारा स्थापित होता हैं, जोकि एक सीमा के अंदर प्रगति करता है. यानि कि छोटे व्यवसाय एक सीमा के अंदर ही विकसित भी होते हैं और यह ग्राहकों के एक निश्चित दायरे में ही होता है. जबकि स्टार्टअप अपने विकास पर कोई सीमा नहीं रखता है. और यह जितना संभव हो उतना बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने पर ध्यान केन्द्रित करता है. अतः स्टार्टअप बिज़नस में आपकी यह कोशिश रहती है कि आप उसमें अग्रणी किस तरह बनें.
· वृद्धि की दर (Rate of growth) :-
छोटा व्यवसाय निश्चित रूप से तेजी से बढता है, क्योकि इसमें प्राथमिता अधिक लाभ यानि पैसे कमाने को दी जाती है. और जब किसी व्यवसाय में लाभ ज्यादा मिलने लगता है, तो उसकी वृद्धि आवश्यक रूप से बढ़ने लगती है. जबकि स्टार्टअप में ऐसा नहीं होता. क्योकि स्टार्टअप का हमेशा विकास तो होता है, लेकिन स्टार्टअप के बिज़नस मॉडल को तैयार करने में समय लगता है. और मॉडल बन जाने के बाद इसे दुनिया भर में पेश करने में एवं सक्षम होने में भी समय लगता है. इसलिए इसकी वृद्धि की दर छोटे व्यवसाय की तुलना में कम होती है.
· लाभ या मुनाफा (profit Margine) :-
चूंकि छोटे व्यवसाय में कमाई करने में ध्यान केन्द्रित होता है, इसलिए इसमें पहले दिन से ही लाभ प्राप्त होने लगता है. इसकी जगह हम स्टार्टअप के बारे में बात करें, तो स्टार्टअप के पहले सेंट को हासिल करने में कई महीने या साल भी लग सकते हैं. इसका मुख्य लक्ष्य उत्पाद बनाना या सर्विस देना है. इसे जितने उपभोक्ता पसंद करेंगे, उतना ही इसे बाजार में ले जाया जा सकेगा. जब यह लक्ष्य हासिल हो जायेगा, तब जाकर आपकी स्टार्टअप कंपनी को लाभ प्राप्त होगा, जोकि लाखों में हो सकता है. उदहारण के लिए, उबर कंपनी का वर्तमान इवैल्यूएशन 50 बिलियन डॉलर है.
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· वित्त और निवेश (Investment and Finance) :-
स्वयं के छोटे व्यवसाय को शुरू करने के लिए आमतौर पर आपको कुछ निवेश करना होता है. जैसे यदि आप कोई कंसलटेंट का व्यवसाय शुरू कर रहे हैं, तो आपको एक प्रिंटर, लैपटॉप, व्यवसाय कार्ड एवं एक वेबसाइट जैसी कुछ चीजों को आवश्यकता होती है. इसमें आपको किसी प्रोडक्ट या सर्विस को केवल वास्तविक आधार पर बेचते रहना होता है. इसलिए इसमें कुछ निश्चित वित्त की आवश्यकता होती है. जिसे आप आपनी निजी बचत, परिवार, दोस्तों, बैंकिंग क्रेडिट और कुछ निवेशक फण्ड की ओर से निवेश कर सकते हैं. हालाँकि आपका लक्ष्य आत्मनिर्भर होना होता है, तो आप उनसे यह ऋण के रूप में लेकर अपनी आवश्यकता पूरी कर सकते हैं, इसमें आपको चौकस भी रहना होता है, क्योंकि आपको एक दिन यह पैसा ब्याज के साथ वापस भी करना होता है.
वहीं जब स्टार्टअप के रूप में आप शुरुआत करते हैं, तो आपको उसके निर्माण में समय तो लगता ही है, साथ में उसमें कुछ तकनीकों का इस्तेमाल होता है, जोकि महंगी होती है. और उपर से ग्राहकों को ढूँढना और ज्यादा मुश्किल काम हो जाता है. इन सभी चीजों के लिए आपको पहले से अपनी वित्तीय आवश्यकताओं को मजबूत करना होता है. क्योकि इसमें आपको अधिक खर्च की आवश्यकता हो सकती है, हालाँकि इसके लिए बाजार में कुछ निवेशक होते हैं, जो आपकी इसके लिए मदद कर सकते हैं.
· तकनीकें (Technologies) :-
एक छोटे व्यवसाय में किसी विशेष तकनीक की आवश्यकता नहीं होती है. कई आउट – ऑफ़ – द बॉक्स तकनीकी समाधान है, जिन्हें मुख्य व्यवसायिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए लागू किया जाता है. छोटे व्यवसाय में मार्केटिंग एवं अकाउंटेंट के समाधान आदि के क्षेत्र में तकनीकें होती है. जबकि स्टार्टअप की तकनीकें मुख्य रूप से उत्पाद होते हैं. लेकिन ऐसा नहीं है, कि स्टार्टअप तेजी से विकास और पैमाने को प्राप्त करने के लिए नई तकनीकों का उपयोग करने में मदद नहीं कर सकता है.
· जीवन चक्र (Lifecycle) :-
छोटे पैमाने में शुरू किये गये व्यवसाय में से 32 % उद्यम ऐसे होते हैं, जो अधिकतर पहले 3 वर्षों में बंद होते हैं, हालाँकि यह स्टार्टअप की तुलना में बुरा नहीं है. क्योकि स्टार्टअप पहले तीन वर्षों के दौरान लगभग 92 % उद्यम बंद कर देते हैं.
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· टीम और मैनेजमेंट (Team and management) :-
एक छोटे से व्यवसाय को आमतौर पर शुरुआत में अकेले ही शुरू किया जा सकता है, लेकिन कुछ समय बाद इसमें कुछ श्रमिकों को काम पर रखा जाता है, जबकि स्टार्टअप मैनेजर को शुरुआत से ही एक लीडर और मैनेजिंग गुणों का विकास करने के लिए कुछ लोगों की आवश्यकता होती है, ताकि जल्द से जल्द स्टार्टअप को बढ़ाया जा सके. जैसे ही कंपनी विकसित होने लगती है, आपको कर्मचारियों, निवेशकों, निदेशकों और अन्य संबंधित लोगों के साथ काम करने की जरुरत महसूस होती है.
· जिन्दगी का तरीका ( Way of life or Life Style) :-
स्टार्टअप की तुलना में एक छोटा व्यवसाय जोखिम और कर्तव्यों से भरा होता है. जो इसे शुरू करता है, उसे काम और अपने व्यक्तिगत जीवन को कंबाइन करके काम करना होता है. एक व्यवसायी का जीवन में काम सुबह 9 से शाम 6 बजे तक होता है. प्रारंभ में व्यवसाय को उच्च प्रयासों की आवश्यकता होती है, लेकिन उन्हें समय के साथ काम और व्यक्तिगत जीवन के अनुपात को बैलेंस करना होता है. इसमें उतार चढ़ाव आ सकते हैं. जबकि स्टार्टअप में ऐसा नहीं होता है. इसमें निवेशकों के पैसे लगे हुए होते हैं, इसमें हारने का समय नहीं होता है. इसमें आपके आसपास के लोग इन्तजार करते हैं, कि कब आप कुछ अविश्वसनीय बना देंगे. इसलिए इसमें काम और निजी जीवन के बीच में बैलेंस करने का सवाल ही पैदा नहीं होता. इसमें केवल काम करो, काम करो और काम करते रहो.
· व्यवसाय का समापन (Exit strategy ) :-
एक छोटा व्यवसाय पारिवारिक व्यवसाय भी बन सकता है, या इसे बेचा भी जा सकता है. लेकिन स्टार्टअप आमतौर पर बिक्री या आईपीओ (इनिशियल पब्लिक ओफ्फेरिंग) पर एक बड़े सौदे के माध्यम से अगले चरण की ओर बढ़ता है.
खुद का बिज़नस शुरू करने के लिए सरकार देगी मुद्रा लोन, कैसे ? यह जानने के लिएकिसी भी तरह से स्टार्टअप्स और छोटे व्यवसायों के बीच के अंतर को समझना और यह एहसास करना बहुत महत्वपूर्ण है कि आप सभी में सबसे अच्छा क्या है. ये दोनों ही अपनी अपनी जगह अच्छे हैं. इसे आप अपने हिसाब से शुरू कर सकते हैं
स्टार्टअप व्यवसाय आणि छोटा व्यवसाय यांच्यात काही महत्त्वाचे फरक आहेत, ते खालीलप्रमाणे:
- स्टार्टअप: जलद वाढीवर लक्ष केंद्रित करते. नवीन कल्पना, तंत्रज्ञान वापरून मोठे मार्केट काबीज करण्याचा प्रयत्न असतो.
- छोटा व्यवसाय: हळू वाढ अपेक्षित असते. ठराविक ग्राहक आणि बाजारात स्थिर राहण्यावर भर दिला जातो.
- स्टार्टअप:Existing समस्यांवर नवीन उपाय शोधून disruption (व्यत्यय) निर्माण करणे आणि innovate (नवीनता) करणे.
- छोटा व्यवसाय:Existing गरजा पूर्ण करणे.existing मॉडेलवर आधारित व्यवसाय करणे.
- स्टार्टअप: बाह्य गुंतवणूकदारांकडून (External Investors) भांडवल मिळवण्यावर लक्ष केंद्रित केले जाते, जसे की Angel Investors, Venture Capitalists.
- छोटा व्यवसाय: स्वतःचे भांडवल किंवा बँकेकडून कर्ज घेऊन व्यवसाय सुरू करणे.
- स्टार्टअप: जास्त धोका असतो, कारण कल्पना नवीन असते आणि यश मिळण्याची शक्यता कमी असते.
- छोटा व्यवसाय: कमी धोका असतो, कारण existing व्यवसाय मॉडेल वापरले जाते.
- स्टार्टअप: नवीन तंत्रज्ञान, product (उत्पादन) किंवा service (सेवा) तयार करण्यावर लक्ष केंद्रित करतात.
- छोटा व्यवसाय: existing product (उत्पादन) किंवा service (सेवा) सुधारण्यावर लक्ष केंद्रित करतात.
उदाहरण: स्टार्टअप: इलेक्ट्रिक वाहन बनवणारी कंपनी. छोटा व्यवसाय: किराणा दुकान.