
स्टार्टअप
स्टार्टअप बिज़नस एवं एक छोटे व्यवसाय दोनों ही एक बिज़नस की शुरुआती टर्म हैं. लेकिन आपको बता दें, कि दोनों में बहुत फर्क होता है. यदि आज के समय की बात की जाये तो किसी भी कार्य को नये तरीके एवं नए विचारों के साथ किया जाये, जिसके द्वारा लोगों की परेशानी आसानी से हल हो सके, तो वह स्टार्टअप होता है. लेकिन वहीँ यदि हम छोटे व्यवसाय की बात करें, तो यह कोई भी कार्य हो सकता है जिसे आप शुरु कर पैसे कमाते हैं. इन दोनों ही व्यवसाय के बीच के अंतर को आज हम लेख में विस्तार से आपको समझाने वाले हैं.
स्टार्टअप बिज़नस एवं एक छोटे व्यवसाय के बीच अंतर (What is difference Between Startup and A Small Business)
आप नीचे कुछ बिन्दुओं के आधार पर यह समझ सकते हैं, कि एक स्टार्टअप बिज़नस और एक छोटे व्यवसाय के बीच में वास्तव में क्या – क्या अंतर होता है, जोकि इस प्रकार है –
· नवीनीकरण (Innovations) :-
एक स्टार्टअप और एक छोटे व्यवसाय के बीच जो सबसे बड़ा एवं महत्वपूर्ण अंतर हैं वह यह है कि किसी भी उत्पाद या सर्विस का नवीनीकरण. छोटा व्यवसाय कोई भी रूप में हो सकता है, यह कोई विशेष होने का दावा नहीं करता है. आपका व्यवसाय कई व्यवसायों में से एक हो सकता है, जैसे हेयरड्रेसिंग सैलून, रेस्तौरेंट, लॉ ऑफिस, ब्लॉग या वीडियो ब्लॉग आदि. अतः सरल शब्दों में कहें तो छोटा व्यवसाय शुरू करना आसान काम होता है. लेकिन जब हम स्टार्टअप की बात करते हैं, तो इसके लिए नवीनीकरण बहुत आवश्यक होता है. स्टार्टअप कुछ नया करने एवं पहले से मौजूद चीजों में सुधार कर उसे नये तरीके से करने के लिए होता है. उदाहरण के लिए कोई नया व्यवसाय मॉडल जोकि यूनिक हो या फिर कोई ऐसी तकनीक जिसे अभी तक कोई भी नहीं जानता वह स्टार्टअप होता है.
स्टार्टअप में निवेश करने से पहले ध्यान रखने योग्य बातें जानने के लिए
· व्यवसाय को बढ़ने की सम्भावनाये (Scopes) :-
छोटा व्यवसाय एक व्यापारी द्वारा स्थापित होता हैं, जोकि एक सीमा के अंदर प्रगति करता है. यानि कि छोटे व्यवसाय एक सीमा के अंदर ही विकसित भी होते हैं और यह ग्राहकों के एक निश्चित दायरे में ही होता है. जबकि स्टार्टअप अपने विकास पर कोई सीमा नहीं रखता है. और यह जितना संभव हो उतना बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने पर ध्यान केन्द्रित करता है. अतः स्टार्टअप बिज़नस में आपकी यह कोशिश रहती है कि आप उसमें अग्रणी किस तरह बनें.
· वृद्धि की दर (Rate of growth) :-
छोटा व्यवसाय निश्चित रूप से तेजी से बढता है, क्योकि इसमें प्राथमिता अधिक लाभ यानि पैसे कमाने को दी जाती है. और जब किसी व्यवसाय में लाभ ज्यादा मिलने लगता है, तो उसकी वृद्धि आवश्यक रूप से बढ़ने लगती है. जबकि स्टार्टअप में ऐसा नहीं होता. क्योकि स्टार्टअप का हमेशा विकास तो होता है, लेकिन स्टार्टअप के बिज़नस मॉडल को तैयार करने में समय लगता है. और मॉडल बन जाने के बाद इसे दुनिया भर में पेश करने में एवं सक्षम होने में भी समय लगता है. इसलिए इसकी वृद्धि की दर छोटे व्यवसाय की तुलना में कम होती है.
· लाभ या मुनाफा (profit Margine) :-
चूंकि छोटे व्यवसाय में कमाई करने में ध्यान केन्द्रित होता है, इसलिए इसमें पहले दिन से ही लाभ प्राप्त होने लगता है. इसकी जगह हम स्टार्टअप के बारे में बात करें, तो स्टार्टअप के पहले सेंट को हासिल करने में कई महीने या साल भी लग सकते हैं. इसका मुख्य लक्ष्य उत्पाद बनाना या सर्विस देना है. इसे जितने उपभोक्ता पसंद करेंगे, उतना ही इसे बाजार में ले जाया जा सकेगा. जब यह लक्ष्य हासिल हो जायेगा, तब जाकर आपकी स्टार्टअप कंपनी को लाभ प्राप्त होगा, जोकि लाखों में हो सकता है. उदहारण के लिए, उबर कंपनी का वर्तमान इवैल्यूएशन 50 बिलियन डॉलर है.
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· वित्त और निवेश (Investment and Finance) :-
स्वयं के छोटे व्यवसाय को शुरू करने के लिए आमतौर पर आपको कुछ निवेश करना होता है. जैसे यदि आप कोई कंसलटेंट का व्यवसाय शुरू कर रहे हैं, तो आपको एक प्रिंटर, लैपटॉप, व्यवसाय कार्ड एवं एक वेबसाइट जैसी कुछ चीजों को आवश्यकता होती है. इसमें आपको किसी प्रोडक्ट या सर्विस को केवल वास्तविक आधार पर बेचते रहना होता है. इसलिए इसमें कुछ निश्चित वित्त की आवश्यकता होती है. जिसे आप आपनी निजी बचत, परिवार, दोस्तों, बैंकिंग क्रेडिट और कुछ निवेशक फण्ड की ओर से निवेश कर सकते हैं. हालाँकि आपका लक्ष्य आत्मनिर्भर होना होता है, तो आप उनसे यह ऋण के रूप में लेकर अपनी आवश्यकता पूरी कर सकते हैं, इसमें आपको चौकस भी रहना होता है, क्योंकि आपको एक दिन यह पैसा ब्याज के साथ वापस भी करना होता है.
वहीं जब स्टार्टअप के रूप में आप शुरुआत करते हैं, तो आपको उसके निर्माण में समय तो लगता ही है, साथ में उसमें कुछ तकनीकों का इस्तेमाल होता है, जोकि महंगी होती है. और उपर से ग्राहकों को ढूँढना और ज्यादा मुश्किल काम हो जाता है. इन सभी चीजों के लिए आपको पहले से अपनी वित्तीय आवश्यकताओं को मजबूत करना होता है. क्योकि इसमें आपको अधिक खर्च की आवश्यकता हो सकती है, हालाँकि इसके लिए बाजार में कुछ निवेशक होते हैं, जो आपकी इसके लिए मदद कर सकते हैं.
· तकनीकें (Technologies) :-
एक छोटे व्यवसाय में किसी विशेष तकनीक की आवश्यकता नहीं होती है. कई आउट – ऑफ़ – द बॉक्स तकनीकी समाधान है, जिन्हें मुख्य व्यवसायिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए लागू किया जाता है. छोटे व्यवसाय में मार्केटिंग एवं अकाउंटेंट के समाधान आदि के क्षेत्र में तकनीकें होती है. जबकि स्टार्टअप की तकनीकें मुख्य रूप से उत्पाद होते हैं. लेकिन ऐसा नहीं है, कि स्टार्टअप तेजी से विकास और पैमाने को प्राप्त करने के लिए नई तकनीकों का उपयोग करने में मदद नहीं कर सकता है.
· जीवन चक्र (Lifecycle) :-
छोटे पैमाने में शुरू किये गये व्यवसाय में से 32 % उद्यम ऐसे होते हैं, जो अधिकतर पहले 3 वर्षों में बंद होते हैं, हालाँकि यह स्टार्टअप की तुलना में बुरा नहीं है. क्योकि स्टार्टअप पहले तीन वर्षों के दौरान लगभग 92 % उद्यम बंद कर देते हैं.
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· टीम और मैनेजमेंट (Team and management) :-
एक छोटे से व्यवसाय को आमतौर पर शुरुआत में अकेले ही शुरू किया जा सकता है, लेकिन कुछ समय बाद इसमें कुछ श्रमिकों को काम पर रखा जाता है, जबकि स्टार्टअप मैनेजर को शुरुआत से ही एक लीडर और मैनेजिंग गुणों का विकास करने के लिए कुछ लोगों की आवश्यकता होती है, ताकि जल्द से जल्द स्टार्टअप को बढ़ाया जा सके. जैसे ही कंपनी विकसित होने लगती है, आपको कर्मचारियों, निवेशकों, निदेशकों और अन्य संबंधित लोगों के साथ काम करने की जरुरत महसूस होती है.
· जिन्दगी का तरीका ( Way of life or Life Style) :-
स्टार्टअप की तुलना में एक छोटा व्यवसाय जोखिम और कर्तव्यों से भरा होता है. जो इसे शुरू करता है, उसे काम और अपने व्यक्तिगत जीवन को कंबाइन करके काम करना होता है. एक व्यवसायी का जीवन में काम सुबह 9 से शाम 6 बजे तक होता है. प्रारंभ में व्यवसाय को उच्च प्रयासों की आवश्यकता होती है, लेकिन उन्हें समय के साथ काम और व्यक्तिगत जीवन के अनुपात को बैलेंस करना होता है. इसमें उतार चढ़ाव आ सकते हैं. जबकि स्टार्टअप में ऐसा नहीं होता है. इसमें निवेशकों के पैसे लगे हुए होते हैं, इसमें हारने का समय नहीं होता है. इसमें आपके आसपास के लोग इन्तजार करते हैं, कि कब आप कुछ अविश्वसनीय बना देंगे. इसलिए इसमें काम और निजी जीवन के बीच में बैलेंस करने का सवाल ही पैदा नहीं होता. इसमें केवल काम करो, काम करो और काम करते रहो.
· व्यवसाय का समापन (Exit strategy ) :-
एक छोटा व्यवसाय पारिवारिक व्यवसाय भी बन सकता है, या इसे बेचा भी जा सकता है. लेकिन स्टार्टअप आमतौर पर बिक्री या आईपीओ (इनिशियल पब्लिक ओफ्फेरिंग) पर एक बड़े सौदे के माध्यम से अगले चरण की ओर बढ़ता है.
खुद का बिज़नस शुरू करने के लिए सरकार देगी मुद्रा लोन, कैसे ? यह जानने के लिएकिसी भी तरह से स्टार्टअप्स और छोटे व्यवसायों के बीच के अंतर को समझना और यह एहसास करना बहुत महत्वपूर्ण है कि आप सभी में सबसे अच्छा क्या है. ये दोनों ही अपनी अपनी जगह अच्छे हैं. इसे आप अपने हिसाब से शुरू कर सकते हैं
स्टार्टअप का मतलब होता हैं नए विचारों के साथ किसी कार्य की शुरूआत करना. जी हाँ जब आप किसी भी व्यवसाय को किसी नए तरीके एवं विचारों के साथ शुरू करते हैं तो उसे स्टार्टअप कहते हैं. इसके लिए यह बिलकुल भी जरूरी नहीं है कि आपके पास वित्त होना आवश्यक है. ये आप बिना पैसों के भी शुरू कर सकते हैं. स्टार्टअप एक ऐसा प्लेटफॉर्म हैं जहाँ आप अपनी क्रिएटिविटी दिखा कर एक कार्य को शुरू करते हैं एवं लोगों को इससे अपनी ओर आकर्षित करते हैं. बिना किसी निवेश किये आप कमा सकते हैं लाखों रूपये. कैसे ? यह जानने के लिए
स्टार्टअप कैसे शुरू करें ? (How to Start Startup ?)
स्टार्टअप शुरू करने के लिए निम्न बातों का ध्यान रखना होगा –
नया आइडिया सोचें (Think New Idea) :- स्टार्टअप शुरू करने के लिए सबसे पहले एक नए विचार यानि आईडिया का होना आवश्यक है. अर्थात आपको क्या बनाना हैं यह आपको पहले सोचना होगा. इसे दुसरे शब्दों में कहें तो स्टार्टअप में किसी चीज का समाधान किसी नये तरीके से करना होता हैं तो उस समाधान का निर्माण करना ही स्टार्टअप की शुरूआत हैं. अपने स्टार्टअप का बाजार में आकार बढ़ाने के लिए यह आवश्यक है कि किसी बड़ी समस्या का समाधान बड़ी ही आसानी एवं नए तरीके से किया जाये. अतः आपको इसके बारे में पहले से विचारधारा सेट करनी होगी. हम नये आईडिया के साथ शुरू किये गए कुछ स्टार्टअप बिज़नस कंपनीज के उदहारण आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं, आपकी इससे कुछ मदद हो सकती है –
1. ऑनलाइन शौपिंग कंपनी फ्लिप्कार्ट :- यह कंपनी एक स्टार्टअप ऑनलाइन शौपिंग कंपनी हैं. जिसने शौपिंग को एक अलग तरीके से करने की पहचान दी. और आज यह कंपनी हर दिन लाखों – करोड़ों की कमाई करती है. इसमें आप
2. पेटीएम कैश पेमेंट कंपनी :- लोगों के कैश पेमेंट की सुविधा को आसान बनाने के लिए इस कंपनी को स्टार्ट किया गया और आज यह कंपनी पूरे देश में बहुत अधिक लोकप्रिय हो गई. इसे भी नए आईडिया के साथ शुरू किया गया था इसलिए यह भी एक स्टार्टअप कंपनी हैं.
3. ओला एवं उबर कैब कंपनी :- लोगों के परिवहन की परेशानी को कम करने के लिए ओला एवं उबर जैसी कंपनी स्टार्टआप के साथ बाजार में आई. और आज लाखों करोड़ों लोग इस कंपनी द्वारा दी जाने वाली सर्विस का उपयोग कर फायदा उठा रहे हैं. ओला के साथ व्यवसाय शुरू कर आप भी लाखों रूपये का फायदा उठा सकते हैं.
· स्टार्टअप बिज़नस की प्लानिंग करें एवं मॉडल तैयार करें (Planning for Startup Business) :- इस तरह से जब आपने भी अपने स्टार्टअप के लिए एक विचार या आईडिया सोच लिया हैं, तो अब बारी आती है इसकी प्लानिंग करने की. जी हां अब आपने जो सोचा हैं उसकी प्लानिंग कर लें, कि किस तरह से कार्य को किया जायेगा, किन – किन चीजों की आवश्यकता हो सकती है, किस क्षेत्र में कार्य करना है, किस तरह के ग्राहक इसके साथ जुड़ सकते हैं, क्या – क्या रिसोर्सेज होंगे एवं इससे ग्राहकों को कितना फायदा होगा, आदि इसी तरह की बहुत सी बातों को पॉइंट के आधार पर कहीं नोट कर लें और एक छोटा का मॉडल भी तैयार कर लें, ताकि आपको आगे इसे शुरू करने में आसानी हो.
जब आप कोई नया व्यवसाय शुरू कर रहे हैं तो क्या वह व्यवसाय एक स्टार्टअप व्यवसाय है या कोई अन्य व्यवसाय इसके बीच के अंतर को आप समझ सकते हैं.
· मार्किट का एनालिसिस कर रिसर्च करें (Market Analysis) :- अपने स्टार्टअप बिज़नस को शुरू करने से पहले आपके लिए यह बहुत आवश्यक है कि आप पहले उसे खुद बहुत अच्छी तरीके से समझें, क्योंकि यह एक नया आईडिया हैं जिसे मार्किट में लाना एवं उसे सफल बनाना आवश्यक है. इसके लिए आप अपने स्टार्टअप व्यवसाय के लिए मार्किट का एनालिसिस कर रिसर्च करें कि इसके लिए आपको क्या – क्या आवश्यकताएं हो सकती हैं.
· बाजार में क्या मिसिंग है इसके बारे में सोचें (What’s Missing in the Market) :- आप अपने स्टार्टअप के लिए इसके बारे में सोच सकते हैं कि बाजार में क्या मिसिंग है. क्योकि यदि आप बाजार में मिसिंग चीजों को लेकर आप आएंगे, तो यह आपके स्टार्टअप के लिए बहुत ही लाभकारी होगा. यह एक तरह से लोगों की किसी समस्या का समाधान भी हो सकता है. अतः जब आप मार्किट में रिसर्च करेंगे तो आपको इस बात का पता लगेगा कि बाजार में क्या चीजें मिसिंग हैं, तो आप अपने स्टार्टअप में उस पर काम कर सकते हैं. फिर आपका बिज़नस खुद ब खुद ही सफल होने लगेगा.
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· स्टार्टअप के नाम का चयन करें (Choose Name of Startup) :- स्टार्टअप की पूरी रूपरेखा तैयार करने के साथ ही यह भी आवश्यक है कि आप अपने स्टार्टअप के लिए बहुत ही अच्छा नाम का चयन करें. जोकि आकर्षक एवं यूनिक दोनों हो. और यदि आप इसे आगे जाकर एक ब्रांड का रूप देना चाहते हैं तो फिर इसका नाम ऐसा होना चाहिए जोकि अर्थपूर्ण भी हो और लोगों को पसंद भी आयें.
· टीम बनाएं (Make a Team) :- एक बार आपने अपने लिए एक अच्छे एवं नये विचार के साथ आपको क्या स्टार्टअप शुरू करना चाह रहे हैं इसके बारे में सोच लिया, तो उसके बाद आपके लिये आवश्यक है टीम का होना. क्योकि किसी भी इस तरह के कार्य को अकेले करना संभव नहीं है. अतः आप भी इस कार्य को करने के लिए टीम बनाना ना भूलें. किसी भी कंपनी का एक संस्थापक एवं एक सह- संस्थापक होता है, जो बिज़नस में होने वाले किसी भी उतार – चढ़ाव में बराबर का हिस्सेदार होता है. और इससे परेशानी को भी साझा किया जा सकता है. इसलिए आप टीम अवश्य बनाएं.
· टेक्नोलॉजी (Technology) :- आज का समय टेक्नोलॉजी का समय है. आपके स्टार्टअप के लिए आवश्यक है कि आप एवं आपकी टीम अच्छी टेक्नोलॉजी का भी विशेष ध्यान रखे. और अच्छी से अच्छी टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाएँ तो बेहतर होगा. क्योकि यदि गलत टेक्नोलॉजी का चयन किया गया तो आपका स्टार्टअप विफल भी हो सकता है. इसके लिए आप औरों से अच्छे विकल्प की सलाह ले सकते हैं. पर यह भी ध्यान रखें यदि आवश्यकता हो तभी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करें. जबरदस्ती इसे घुसाने की कोशिश बिलकुल भी ना करें.
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· मॉडल को टीम मेंबर एवं कुछ अन्य लोगों के साथ सांझा करें (Share Model with Team Members) :- जब आपने अपने स्टार्टअप बिज़नस की रूपरेखा पूरी तरह से तैयार कर ली, तो उसके बाद आप अपने टीम मेम्बेर्स के साथ मिलकर इसके बारे में पूरी जानकारी सांझा करें. ताकि यदि उसमें कोई कमी रह जाती हैं तो वे उस कमी को भरने में आपकी मदद कर सकेंगे. अतः जब उन्हें आपके स्टार्टअप से संबंधित सभी तरह की जानकारी प्राप्त होगी, तभी वे आपकी मदद कर पाएंगे इसलिए उन्हें आप अपने स्टार्टअप की जानकारी अच्छे से दें.
· फंडिंग (Funding) :- वैसे तो स्टार्टअप के लिए फंडिंग का होना आवश्यक नहीं है. क्योकि स्टार्टअप के लिए पैसे जुटाने पर प्राथमिकता नहीं दी जाती है बल्कि आपके इस व्यवसाय को किस तरह से बेहतर बनाया जा सकता है इस पर प्राथमिकता दी जाती है. इसमें आपको ज्यादा फंडिंग की भी आवश्यकता नहीं होती है. फिर भी बाजार में बहुत से ऐसे निवेशक हैं जो इसके लिए आपकी मदद कर सकते हैं, लेकिन उसके लिए भी आवश्यक है कि आपका स्टार्टअप एकदम यूनिक, गुणवत्तापूर्ण एवं नया होना चाहिए. हालाँकि एक स्टार्टअप में निवेश करने से पहले ध्यान रखने योग्य कुछ बातें होती हैं. जिसका आपको हमेशा ध्यान रखना होगा.
· अपने स्टार्टअप बिज़नस को रजिस्टर कराएँ (Register a Startup Business) :- आपका स्टार्टअप पूरी तरह से शुरू होने के लिए तैयार हो जाएँ तो उसके बाद आपको अपने स्टार्टअप बिज़नस को रजिस्टर करना है. इसके लिए आपको सारे कानूनी कार्य करने होंगे. कानूनी कार्य करने के लिए आप अगर किसी लीगल एडवाइजर की सलाह लें, तो आपके लिए अच्छा होगा.
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· अपने स्टार्टअप की लॉन्चिंग करें (Launch Startup) :- अब जब सारी तैयारी हो गई तो फिर बारी आती है अपने स्टार्टअप को लॉन्च करने की. जी हां अब आप अपने स्टार्टअप को लांच करें.
· मार्केटिंग करें (Marketing) :- ये किसी भी व्यवसाय के विकास का एक अभिन्न अंग है. अतः आप भी अगर यह चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोग आपके स्टार्टअप के साथ जुड़ें, तो उन तक आपके स्टार्टअप की विशेषताएं एवं लाभ पहुँचाने के लिए आवश्यक है कि आप अपने स्टार्टअप व्यवसाय की मार्केटिंग करें. लोगों को इसके बारे में बताएं कि आपके स्टार्टअप बिज़नस अन्य छोटे व्यवसाय से किस तरह अलग है, इसमें क्या नया है, क्या विशेष हैं एवं इससे क्या फायदा है आदि.
· मेंटर होना भी आवश्यक है (Also be a Mentor) :- जब आप किसी बड़े कार्य को करते हैं तो उसके लिए एक मेंटर होना आवश्यक होता है. ताकि आपको यह एहसास हो कि आपके कंधे पर किसी का हाथ है, जो आपको हर कदम में साथ देगा. इसलिए आप किसी ऐसे इन्सान को चुन सकते हैं जो आपके बहुत करीब है और उन पर भरोसा कर सकते हैं.
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· अपने ग्राहकों को फॉलोअप करें (Follow up Your Customer) :- जब आपके स्टार्टअप बिज़नस के लिए ग्राहक आने लगेंगे तो आप उनकी पूरी तरह से मदद करें. उन्हें यदि आपकी सर्विस या प्रोडक्ट को खरीदने या इससे संबंधित किसी भी प्रकार की कोई परेशानी होती है, तो आप उनकी मदद करें. उन्हें फॉलोअप करें उनसे बात करें. एवं और लोगों को इससे जुड़ने के लिए कहें.
· यूजर संख्या में वृद्धि (Increase User) :- आपका बिज़नस शुरू होने के बाद आप टारगेट सेट करें कि आप यूजर संख्या को किस तरह से बढ़ाएंगे. इसके लिए आप शुरुआत में यह कर सकते हैं कि पहले आप 1000 यूजर को अपने साथ जोड़ें, और यह तभी होगा जब आपका स्टार्टअप बिज़नस उनकी जरुरतों को पूरा करेगा, साथ की उनका समय भी बचाएगा. जब आपका यह टारगेट पूरा हो जायेगा तब आप धीरे – धीरे अपने टारगेट को बढ़ाते जाइये. आप देखेंगे कि यह खुद ब खुद ही होने लगेगा.
· सफलता (Success) :- अंत में बारी आती है सफलता की. यह किसी भी बिज़नस के लिए बहुत ही अहम होती हैं. यदि ये नहीं तो आपके बिज़नस को कोई लाभ नहीं होगा. और कुछ समय बाद आप वापस उसी जगह में पहुँच जायेंगे जहाँ से आपने शुरुआत की थी. इसलिए आप अपने स्टार्टअप बिज़नस को सफल बनाने की पूरी कोशिश करें. आपका बिज़नस जब पूरी तरह से सेट हो जायेगा और लोगों को यह पसंद आने लगेगा, तो आपसे आपकी कामयाबी कोई भी कभी भी नहीं छीन सकेगा. इसलिए यह आवश्यक है.
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निष्कर्ष (Conclusion)
स्टार्टअप एक ऐसी कोशिश हैं जहाँ आप अपनी जितनी ज्यादा क्रिएटिविटी दिखायेंगे और लोगों को अपनी एवं अपने स्टार्टअप बिज़नस की ओर आकर्षित करेंगे उतना ही अधिक आपको सफलता मिलेगी. इसलिए आप अपने स्टार्टअप की शुरुआत करने में इन सभी बातों का विशेष ध्यान रखें. और इसके अनुसार ही अपने स्टार्टअप बिज़नस को शुरू करें.
सौरभ दिवटे
CEO
कॉप्टरव्हीजन इन्फोकॉम प्रायव्हेट लिमिटेड
~ www.Qoptervzn.com ~
कंपनीचे बिजनेसेस -
www.ApnaSaman.com
ईकॉमर्स ( ऑनलाईन शॉपिंग वेबसाईट )
www.GrowthApple.com
सॉफ्टवेयर, एप्लिकेशन्स, वेबसाईट्स डेव्हलपमेंट आणि डिजिटल मार्केटिंग ची वेबसाईट
www.GrowthApple.xyz
वेब होस्टिंग, डोमेन, VPS च्या सेवा देणारी वेबसाईट
तुमच्याकडे भांडवल नसेल, तरी तुम्ही अनेक प्रकारचे छोटे व्यवसाय सुरू करू शकता. खाली काही पर्याय दिले आहेत:
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ड्रॉपशिपिंग (Dropshipping): यात तुम्हाला कोणतीही वस्तू साठवून ठेवण्याची गरज नाही. तुम्ही फक्त तुमच्या वेबसाईटवर किंवा सोशल मीडियावर वस्तू display करू शकता आणि जेव्हा ऑर्डर येईल तेव्हा ती ऑर्डर थेट सप्लायर तुमच्या ग्राहकाला पाठवेल.
- उदाहरण: Shopify (https://www.shopify.com/in/blog/dropshipping-business).
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ॲफिलिएट मार्केटिंग (Affiliate Marketing): तुम्ही इतर कंपन्यांच्या उत्पादनांची जाहिरात करू शकता आणि तुमच्या लिंकवरून कोणी खरेदी केल्यास तुम्हाला कमिशन मिळेल.
- उदाहरण: Amazon Associates (https://affiliate-program.amazon.in/).
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कंटेंट रायटिंग (Content Writing): जर तुमची लेखनशैली चांगली असेल, तर तुम्ही विविध कंपन्यांसाठी किंवा वेबसाईटसाठी लेख लिहू शकता.
- उदाहरण: अनेक फ्रीलांसिंग वेबसाइट्स (https://www.fiverr.com/).
- सोशल मीडिया मॅनेजमेंट (Social Media Management): अनेक लहान व्यवसायांना त्यांचे सोशल मीडिया अकाउंट्स handle करण्यासाठी लोकांची गरज असते. तुम्ही त्यांचे अकाउंट handle करून पैसे कमवू शकता.
- वेबसाईट डेव्हलपमेंट (Website Development): जर तुम्हाला वेबसाईट बनवण्याचे ज्ञान असेल, तर तुम्ही लहान व्यवसायांसाठी वेबसाईट बनवून देऊ शकता.
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- इव्हेंट प्लॅनिंग (Event Planning): तुम्ही लहान-सहान कार्यक्रमांचे नियोजन करून ते यशस्वीपणे पार पाडू शकता.
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हे सर्व व्यवसाय कमी भांडवलात सुरू करता येतील आणि जसजसा तुमचा अनुभव वाढेल तसतसे तुम्ही तुमचा व्यवसाय वाढवू शकता.
_आपण नेहेमी तक्रार असतो की, आपल्याला काहीतरी करून दाखवायचं आहे, फक्त ती संधी मिळत नाहीये. पण तुम्हाला माहित आहे का, आज जगात ज्या अनेक बड्या कंपन्या आहेत, त्यांची सुरवात ही अगदी छोट्या ठिकाणांपासून झाली आहे. हे अरबोंचे व्यवसाय हे एका छोट्याश्या गॅरेजपासून सुरु झाले आहेत. म्हणजे ह्या मोठ-मोठ्या कंपन्या आहेत ना, त्यांचं पहिलं कार्यालय म्हणजे छोटी अडगळीची खोली होती._
*_◼गुगल :_*
गुगल शिवाय तर आज आपले जीवनच अपूर्ण आहे. आपल्याला पडणाऱ्या प्रत्येक प्रश्नाचं उत्तर हे गुगलकडे असतं. जवळजवळ जगभरातील सर्वच लोक ह्या गुगलचा वापर करतात. आज गुगलचे कार्यालय हे जगातील सर्वात मोठ्या आणि पसरलेल्या कार्यालयांपैकी एक आहे. तर ह्या गुगलची सुरवात देखील एका छोट्याश्या ठिकाणावरुनच झाली आहे. गॅरेज पासून ह्याची सुरवात केली.एवढचं नाही तर गुगलची निर्मिती केल्यानंतर त्यांना वाटले की याचा वाईट परिणाम त्यांच्या अभ्यासावर होत आहे म्हणून त्यांनी गुगलला विकण्याचा देखील प्रयत्न केला.
*_◼अॅमेझॉन :_*
ही कंपनी आज जगातील सर्वात प्रसिद्ध आणि लोकप्रिय अशी ऑनलाईन रिटेलर कंपनी आहे. १९९४ साली जेव्हा ह्या कंपनीचा सुरवात झाली तेव्हा ह्या कंपनीचे संस्थापक जेफ बेजोस ह्यांच्याकडे कुठलं मोठं ऑफिस नव्हतं. त्यांनी त्यांच्या स्टोर रूममध्ये मध्येच एक ऑनलाईन बुक स्टोर उघडले आणि ह्या कंपनीने १९९५ साली आपली पहिली पुस्तक विकली. १९९७ साली जेफ ह्यांनी आपलं हे छोटसं बुक स्टोर लोकांकरिता खुले केले आणि ह्या Amazon.comवर आपल्याला गरजेची प्रत्येक वस्तू उपलब्ध आहे. आज जेफ हे जगातील सर्वात श्रीमंत लोकांमध्ये गणले जातात.
*_◼अॅप्पल :_*
जगभरातील इलेक्ट्रॉनिक डिव्हाईस प्रेमींसाठी अॅप्पल ही सर्वात आवडती कंपनी आहे. ती एक स्टेटस सिम्बॉल आहे. आज अॅप्पलची मार्केट वॅल्ह्यू ही १ ट्रिलियन डॉलर एवढी आहे. आज अॅप्पल ही क अतिशय यशस्वी कंपनी आहे, पण ह्या कंपनीची सुरवात देखील एका गॅरेज पासूनच झाली होती. १९७६ साली स्टीव्ह जॉब्स आणि स्टीव्ह वोजनिएक ह्या दोघांनी मिळून अॅप्पल कंपनीची स्थापना केली होती. ह्यांनी त्यांच्या ह्या कंपनीची सुरवात कॅलिफोर्निया येथील एका गॅरेजमधून केली होती. तेथेच त्यांनी पहिला अॅप्पल कम्प्युटर तयार केला होता.
*_◼डिजनी :_*
लहान तसेच मोठ्यांना देखिल वेड लावेल असे प्रसिद्ध थीम पार्क डिजनी हा सुरवातीला एवढा सुंदर नव्हताच. वॉल्ट डिजनी आणि त्यांच्या भावाने त्यांच्या काकाच्या गॅरेज मध्ये पहिले डिजनी स्टुडीओ सुरु केले. येथेच एलिस कॉमेडीजची शुटींग करण्यात आली होती.एका गॅरेजपासून सुरु झालेला हा प्रवास आज इथवर येऊन पोहोचला आहे की, आज डिजनी जगातील सर्वात जास्त कमाई करणारी मनोरंजन कंपनी बनली आहे.
*_हार्ले डेव्हीडसन :_*
बाईक प्रेमींसाठी हार्ले डेव्हीडसन चालवणे हे त्याचं स्वप्न असतं. १९०१ साली २१ वर्षांच्या विलियम हार्ले ह्याने त्याच्या सायकलची क्षमता वाढविण्यासाठी त्यात एक छोटासा इंजन बसविण्याचे ठरवले. त्याच्या दोन वर्षानंतर त्यांनी त्यांच्या बालपणीचा मित्र अर्थर डेव्हिडसन ह्याच्या सोबत गॅरेजमध्ये पहिल्यांदा एक मोटारसायकल बनवली. तर हार्ले डेव्हिडसन कंपनीची आधिकारिक स्थापना १९०३ साली झाली. आणि आज ही जगातील सर्वात प्रसिद्ध मोटारसायकल कंपन्यांपैकी एक आहे.
*_◼मायक्रोसॉफ्ट_*
बिल गेट्स आणि पॉल एलेन यांनी १९७५ साली अगदी थोड्याश्या संसाधनांच्या मदतीने एका गॅरेजमध्ये ह्या कंपनीची सुरवात केली होती. मायक्रोसॉफ्ट अॅप्पल प्रमाणेच हार्डवेअर हे नाही बनवत तर त्याच्या कल हा केवळ सॉफ्टवेयर मार्केटकडे होता. आईबीएम सोबत काम करताना कंपनीने आपल्या पहिल्या ऑपरेटिंग सिस्टीमचा लायसेन्स घेण्यासाठी केवळ ८० हजार डॉलर द्यावे लागले होते.
*_📍आज ह्या सर्व कंपन्या यशाच्या शिखरावर येऊन पोहोचल्या आहेत. आपण हे विसरायला नको की यांची सुरवात ही मात्र एका छोट्याश्या गॅरेज पासून झाली होती. त्यामुळे सुरवात ही मुळात महत्वाची, त्यानंतर आपल्या मेहनतीवर यश हे अवलंबून असते._*
खर्चाचे अंदाज:
- जागा:
जागेचे भाडे किंवा खरेदी खर्च जागेच्या आकारानुसार आणि स्थानानुसार बदलतो.
शहरांमध्ये जागेचे भाडे जास्त असू शकते.
- उपकरणे:
वर्कशॉपसाठी लागणारी उपकरणे (उदा. वेल्डिंग मशीन, ड्रिलिंग मशीन, टूल्स) तुमच्या कामाच्या प्रकारावर अवलंबून असतील.
नवीन उपकरणांचा खर्च जास्त असतो, पण वापरलेली उपकरणे स्वस्त मिळू शकतात.
- इतर खर्च:
परवाने, विमा, आणि सुरुवातीच्या जाहिरातींवरही खर्च येऊ शकतो.
एक उदाहरण:
समजा तुम्ही एक छोटा ऑटो रिपेअरिंग वर्कशॉप सुरू करत आहात, तर:
- जागेचे भाडे: ₹5,000 - ₹20,000 प्रति महिना
- उपकरणे: ₹50,000 - ₹1,50,000 (वापरलेली उपकरणे स्वस्त मिळतील)
- इतर खर्च: ₹10,000 - ₹30,000
या अंदाजानुसार, तुम्हाला सुमारे ₹65,000 ते ₹2,00,000 पर्यंत खर्च येऊ शकतो.
टीप: हा फक्त एक अंदाज आहे. प्रत्यक्ष खर्च तुमच्या विशिष्ट गरजेनुसार बदलू शकतो.