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11 डिसेंबर 1946 रोजी संविधान सभेचे अध्यक्ष कोण होते?
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की समाप्ति के बाद जुलाई १९४५ मेंब्रिटेनमें एक नयी सरकार बनी। इस नयी सरकार नेभारतसंबन्धी अपनी नई नीति की घोषणा की तथा एक संविधान निर्माण करने वाली समिति बनाने का निर्णय लिया। भारत की आज़ादी के सवाल का हल निकालने के लिएब्रिटिश कैबिनेट के तीन मंत्री भारत भेजे गए। मंत्रियों के इस दल कोकैबिनेट मिशनके नाम से जानाजाता है।१५ अगस्त१९४७को भारत के आज़ाद हो जाने के बाद यह संविधान सभा पूर्णतः प्रभुतासंपन्न हो गई। इस सभा ने अपना कार्य९ दिसम्बर१९४७से आरम्भ कर दिया। संविधान सभा के सदस्य भारत के राज्यों की सभाओं के निर्वाचित सदस्यों के द्वारा चुने गए थे।जवाहरलाल नेहरू,डॉ राजेन्द्र प्रसाद,डॉ बाबासाहेब आंबेडकर,सरदार वल्लभ भाई पटेल,श्यामा प्रसाद मुखर्जी,मौलाना अबुल कलाम आजादआदि इस सभा के प्रमुख सदस्य थे। अनुसूचित वर्गों से ३० से ज्यादा सदस्य इस सभा में शामिल थे।सच्चिदानन्द सिन्हाइस सभा के प्रथम सभापति थे। किन्तु बाद मेंडॉ राजेन्द्र प्रसादको सभापति निर्वाचित किया गया।भीमराव रामजी आंबेडकरको निर्मात्री सिमित का अध्यक्ष चुना गया था। संविधान सभा ने २ वर्ष, ११ माह, १८ दिन में कुल १६६ दिन बैठक की। इसकी बैठकों में प्रेस और जनता को भाग लेने की स्वतन्त्रता थी।
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०९ डिसेंबर १९४६ रोजी झालेल्या सभेत सच्चिदानंद सिन्हा फक्त प्रथम सभेचे हंगामी अध्यक्ष होते. त्यानंतर ११ डिसेंबर १९४६ रोजी डॉ.राजेंद्र प्रसाद यांची कायम अध्यक्ष म्हणून निवड झाली.
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11 डिसेंबर 1946 रोजी संविधान सभेचे अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद होते.
त्यापूर्वी, 9 डिसेंबर 1946 रोजी सच्चिदानंद सिन्हा यांची हंगामी अध्यक्ष म्हणून निवड झाली होती.
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