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त्रिपिटक ग्रंथ कोणी लिहिला?
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इस ग्रन्थ की लेखिका विनया पिताका है बौद्ध-परम्परा के अनुसार त्रिपिटक तीन संगीतियों से स्थिर हुआ। कहा जाता है कि बुद्ध के परिनिर्वाण के बाद सुभद्र नामक भिक्षु ने अपने साथियों से कहा- ‘‘आवुसो, शोक मत करो, रुदन मत करो ! हम लोगों को महाश्रमण से छुटकारा मिल गया है। वे हमेशा कहते रहते थे- ‘यह करो, यह मत करो’। लेकिन अब हम जो चाहेंगे करेंगे। जो नहीं चाहेंगे, नहीं करेंगे।’’
सुभद्र भिक्षु के ये वचन सुनकर महाकाश्यप स्थविर को भय हुआ कि कहीं सद्धर्म का नाश न हो जाए। अतएव उन्होंने विनय और धर्म के संस्थापन के लिए राजगृह में 500 भिक्षुओं की एक संगीति बुलवायी। बौद्ध भिक्षुओं की दूसरी संगीति बुद्ध-परिनिर्वाण के 100 वर्ष बाद वैशाली में बुलाई गयी। बुद्ध-परिनिर्वाण के 236 वर्ष बाद पाटलिपुत्र में सम्राट अशोक के समय तिस्स मोग्गलिपुत्त ने तीसरी संगीति बुलायी, जिसमें थेरवाद का उद्धार किया गया।
वर्तमान त्रिपिटक वही त्रिपिटक है जो सिंहल के राजा वट्टगामणी के समय प्रथम शताब्दी के अन्तिम रूप से स्थिर हुआ माना जाता है।
सुभद्र भिक्षु के ये वचन सुनकर महाकाश्यप स्थविर को भय हुआ कि कहीं सद्धर्म का नाश न हो जाए। अतएव उन्होंने विनय और धर्म के संस्थापन के लिए राजगृह में 500 भिक्षुओं की एक संगीति बुलवायी। बौद्ध भिक्षुओं की दूसरी संगीति बुद्ध-परिनिर्वाण के 100 वर्ष बाद वैशाली में बुलाई गयी। बुद्ध-परिनिर्वाण के 236 वर्ष बाद पाटलिपुत्र में सम्राट अशोक के समय तिस्स मोग्गलिपुत्त ने तीसरी संगीति बुलायी, जिसमें थेरवाद का उद्धार किया गया।
वर्तमान त्रिपिटक वही त्रिपिटक है जो सिंहल के राजा वट्टगामणी के समय प्रथम शताब्दी के अन्तिम रूप से स्थिर हुआ माना जाता है।
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त्रिपिटक हा कोणताही एका व्यक्तीने लिहिलेला ग्रंथ नाही. हाcollection आहे. गौतम बुद्धांच्या (इ.स.पू. ५६३-इ.स.पू. ४८३) उपदेशांचे संकलन त्यांच्या शिष्यांनी केले. हे उपदेश त्यांनी मौखिक परंपरेतून जतन केले आणि नंतर ते त्रिपिटकात ग्रथित केले.
त्रिपिटकामध्ये तीन मुख्य भाग आहेत:
त्रिपिटक हे बौद्ध धर्माचे एक महत्त्वाचे धार्मिक साहित्य आहे.
- विनयपिटक: यात बौद्ध भिक्खू आणि नन्स यांच्यासाठी नियम आहेत.
- सुत्तपिटक: यात बुद्धांचे उपदेश आणि प्रवचने आहेत.
- अभिधम्मपिटक: यात बौद्ध तत्त्वज्ञानाचा आणि सिद्धांतांचा ऊहापोह आहे.
अधिक माहितीसाठी: ब्रिटानिका - त्रिपिटक